सऊदी अरब में आथिर्क हालत खराब
भारतीयों पर भारी संकट, सऊदी अरब में आथिर्क हालत खराब जानिये क्यू...?
बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स बंद
सरकार खर्चों में भारी कटौती कर रही है। कई पब्लिक प्लान्स के बजट में कटौती हो गई है और कई बड़े प्रोजेक्ट्स को बंद कर दिया गया है। पिछले साल सरकार का बजटीय घाटा 100 अरब डॉलर हो गया था। 2014 में तेलों के दाम गिरने के बाद से उसका फॉरेन रिजर्व भी 25 फीसदी कम हो गया है। सरकार ने विदेशी बैंकों से भारी-भरकम लोन ले रखा है और अब वो ग्लोबल बॉन्ड मार्केट से और कर्ज लेने की कोशिश में है।
यही नहीं सरकार ने मंत्रियों की सैलरी कम कर दी है। नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। इम्प्लॉइज को रेगुलर बोनस और ओवरटाइम देना बंद कर दिया है। यहां तक कि अब तक इस्लामिक हिजरी कैलेंडर से चलने वाले सऊदी अरब ने अमेरिका और यूरोप के ग्रिगोरियन कैलेंडर को अपना लिया है। क्योंकि हिजरी कैलेंडर छोटा होता है। इस हिसाब से कर्मचारियों को अब उतनी ही सैलरी में हर माह एक दिन और काम करना पड़ेगा।
सऊदी में तेल नहीं
मौजूदा हालात देखें, तो यह सही है कि सऊदी में तेल पूरी तरह सूख चुका है। खासतौर से वो, जो दूसरे देशों में जाता था। सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको और केमिकल कंपनी सेबिक को क्रूड ऑयल से कभी खरबों डॉलर की कमाई होती थी। उसके बल पर सीमेंट का उत्पादन और एल्यूमीनियम गलाने का काम भी जोरों से होता था। वह मुनाफा अब नहीं है। सऊदी अरब बिजली उत्पादन के लिए असीमित मात्रा में क्रूड ऑयल लगाता है, जबकि कम ही देश ऐसा करते थे। उसके कारण राजधानी रियाद में व्यावसायिक इस्तेमाल के एयर कंडीशनर चलते हैं, शॉपिंग मॉल ठंडे रहते हैं।
नए जॉब का प्लान नहीं
सऊदी अरब की आबादी 1990 से अब तक करीब दोगुनी बढ़ चुकी है। यहां पर हर वर्ष करीब 3 लाख युवाओं को नौकरी चाहिए लेकिन इन्हें काम कैसे मिलेगा इसके लिए सरकार ठोस योजना नहीं बना पा रही है। इसके अलावा सरकारी इम्प्लॉइज समेत आम लोगों पर नए तरह के कर और जुर्माने के लगाए गए हैं। तेल की खपत बढ़ाने के लिए सऊदी सरकार ने कई उपाय किए हैं। जैसे, ईंधन, पानी और बिजली की अधिक से अधिक खपत पर सब्सिडी की रकम बढ़ा दी गई है।
मजबूरी में खोलनी पड़ रही है दुकान
झुलसाने वाली गर्मी की एक शाम उम रशीद नाम की महिला ने अपनी छोटी सी दुकान खोली और रोजाना की तरह सस्ती ज्वेलरी बेचना शुरू कर दिया। वो कहती हैं कि पति की पेंशन के बीच दुकान चलाना अब मजबूरी हो गई है। उम बताती हैं कि बीते रमजान में बिजली कट गई क्योंकि हम बिल जमा नहीं कर सके। ऊंट बिजली के बिना रह सकता है, हम नहीं। यह परेशानी केवल उम की नहीं बल्कि पूरे सऊदी अरब की है। आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। फरारी से घूमने और लाखों रुपये का सोना पहनने वाले शेख अब दूसरे ऑप्शन तलाश रहे हैं। सऊदी किंग के युवा बेटे प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने डेयरी कंपनी स्थापित की है और वहां का दूध पूरे देश में सप्लाई किया जा रहा है।
India's World - Economic crisis in Saudi Arabia
सरकार द्वारा उपाय :-
इकोनॉमी को पटरी पर लाएंगे
सऊदी किंग के बेटे का कहना है कि ऐसी व्यापार के बल पर वे इकोनॉमी को पटरी पर लाएंगे, लेकिन अब लोगों को भी कड़ी मेहनत के लिए तैयार रहना होगा। अलमाराई केवल डेयरी नहीं है, यह पूरे वेस्ट एशिया में एक भरोसेमंद ब्रांड है। उसके चलते इस साल वहां 891 करोड़ रुपये की इनकम का अनुमान है।
जेद्दा चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की बोर्ड मेंबर और एंटरप्रेन्योर लामा अलसुलैमान का कहना है कि सऊदी सरकार तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है, लेकिन लोग खुद को उसके पीछे छूटा हुआ मान रहे हैं। वे कहती हैं कि यहां पर जीवन अब तक जैसे एशोआराम से चल रहा था वैसा अब नहीं चल सकता।
तेल की लगातार कम होती कीमत और यमन में बढ़ते गृहयुद्ध ने सऊदी अरब को कमजोर कर दिया है। उसका ध्यान अब डेयरी जैसे बिजनेस पर है और उन्हें ठीक से चलाने के लिए वहां हरसंभव कोशिशें की जा रही हैं।
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रेगिस्तान में बनाई डेयरी
सऊदी अरब की अलमाराई डेयरी रेगिस्तानी जमीन पर स्थापित की गई है और वहां एक लाख 80 हजार गाय हैं। उनके लिए ऐसे आधुनिक शेड बनाए गए हैं, जो हमेशा मध्यम ठंडे रहते हैं। गहराई में किए गए बोरवेल के माध्यम से उसके कूलिंग प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है। अर्जेंटीना की मदद से रेफ्रीजरेशन सिस्टम तैयार किया गया है, जहां गायों का दूध स्टोर होता है। वहां से ठंडा दूध 9,000 वाहनों से पूरे देश में सप्लाई किया जाता है। ऐसे ही और उपाय तलाशे जा रहे हैं।
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सऊदी अरब की
आथिर्क स्थिति इस समय बहुत खराब हो गई है। सऊदी अरब में पहले शेख फरारी से
घूमते थे, तेल बेचते थे, लेकिन वह अब दूध डेयरी की खोल रहे हैं। सऊदी अरब
में आथिर्क स्थिति का हाल यह है कि वहां अब लोगों को महीनें की सैलरी में
एक दिन और काम करना पड़ रहा है। वहां पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स बंद होर
हैं।
बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स बंद
सरकार खर्चों में भारी कटौती कर रही है। कई पब्लिक प्लान्स के बजट में कटौती हो गई है और कई बड़े प्रोजेक्ट्स को बंद कर दिया गया है। पिछले साल सरकार का बजटीय घाटा 100 अरब डॉलर हो गया था। 2014 में तेलों के दाम गिरने के बाद से उसका फॉरेन रिजर्व भी 25 फीसदी कम हो गया है। सरकार ने विदेशी बैंकों से भारी-भरकम लोन ले रखा है और अब वो ग्लोबल बॉन्ड मार्केट से और कर्ज लेने की कोशिश में है।
यही नहीं सरकार ने मंत्रियों की सैलरी कम कर दी है। नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। इम्प्लॉइज को रेगुलर बोनस और ओवरटाइम देना बंद कर दिया है। यहां तक कि अब तक इस्लामिक हिजरी कैलेंडर से चलने वाले सऊदी अरब ने अमेरिका और यूरोप के ग्रिगोरियन कैलेंडर को अपना लिया है। क्योंकि हिजरी कैलेंडर छोटा होता है। इस हिसाब से कर्मचारियों को अब उतनी ही सैलरी में हर माह एक दिन और काम करना पड़ेगा।
सऊदी में तेल नहीं
मौजूदा हालात देखें, तो यह सही है कि सऊदी में तेल पूरी तरह सूख चुका है। खासतौर से वो, जो दूसरे देशों में जाता था। सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको और केमिकल कंपनी सेबिक को क्रूड ऑयल से कभी खरबों डॉलर की कमाई होती थी। उसके बल पर सीमेंट का उत्पादन और एल्यूमीनियम गलाने का काम भी जोरों से होता था। वह मुनाफा अब नहीं है। सऊदी अरब बिजली उत्पादन के लिए असीमित मात्रा में क्रूड ऑयल लगाता है, जबकि कम ही देश ऐसा करते थे। उसके कारण राजधानी रियाद में व्यावसायिक इस्तेमाल के एयर कंडीशनर चलते हैं, शॉपिंग मॉल ठंडे रहते हैं।
नए जॉब का प्लान नहीं
सऊदी अरब की आबादी 1990 से अब तक करीब दोगुनी बढ़ चुकी है। यहां पर हर वर्ष करीब 3 लाख युवाओं को नौकरी चाहिए लेकिन इन्हें काम कैसे मिलेगा इसके लिए सरकार ठोस योजना नहीं बना पा रही है। इसके अलावा सरकारी इम्प्लॉइज समेत आम लोगों पर नए तरह के कर और जुर्माने के लगाए गए हैं। तेल की खपत बढ़ाने के लिए सऊदी सरकार ने कई उपाय किए हैं। जैसे, ईंधन, पानी और बिजली की अधिक से अधिक खपत पर सब्सिडी की रकम बढ़ा दी गई है।
मजबूरी में खोलनी पड़ रही है दुकान
झुलसाने वाली गर्मी की एक शाम उम रशीद नाम की महिला ने अपनी छोटी सी दुकान खोली और रोजाना की तरह सस्ती ज्वेलरी बेचना शुरू कर दिया। वो कहती हैं कि पति की पेंशन के बीच दुकान चलाना अब मजबूरी हो गई है। उम बताती हैं कि बीते रमजान में बिजली कट गई क्योंकि हम बिल जमा नहीं कर सके। ऊंट बिजली के बिना रह सकता है, हम नहीं। यह परेशानी केवल उम की नहीं बल्कि पूरे सऊदी अरब की है। आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। फरारी से घूमने और लाखों रुपये का सोना पहनने वाले शेख अब दूसरे ऑप्शन तलाश रहे हैं। सऊदी किंग के युवा बेटे प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने डेयरी कंपनी स्थापित की है और वहां का दूध पूरे देश में सप्लाई किया जा रहा है।
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सरकार द्वारा उपाय :-
इकोनॉमी को पटरी पर लाएंगे
सऊदी किंग के बेटे का कहना है कि ऐसी व्यापार के बल पर वे इकोनॉमी को पटरी पर लाएंगे, लेकिन अब लोगों को भी कड़ी मेहनत के लिए तैयार रहना होगा। अलमाराई केवल डेयरी नहीं है, यह पूरे वेस्ट एशिया में एक भरोसेमंद ब्रांड है। उसके चलते इस साल वहां 891 करोड़ रुपये की इनकम का अनुमान है।
जेद्दा चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की बोर्ड मेंबर और एंटरप्रेन्योर लामा अलसुलैमान का कहना है कि सऊदी सरकार तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है, लेकिन लोग खुद को उसके पीछे छूटा हुआ मान रहे हैं। वे कहती हैं कि यहां पर जीवन अब तक जैसे एशोआराम से चल रहा था वैसा अब नहीं चल सकता।
तेल की लगातार कम होती कीमत और यमन में बढ़ते गृहयुद्ध ने सऊदी अरब को कमजोर कर दिया है। उसका ध्यान अब डेयरी जैसे बिजनेस पर है और उन्हें ठीक से चलाने के लिए वहां हरसंभव कोशिशें की जा रही हैं।
देखिये मोदी जी का मास्टर प्लान आर पार हाँ अब की बार हाँ
रेगिस्तान में बनाई डेयरी
सऊदी अरब की अलमाराई डेयरी रेगिस्तानी जमीन पर स्थापित की गई है और वहां एक लाख 80 हजार गाय हैं। उनके लिए ऐसे आधुनिक शेड बनाए गए हैं, जो हमेशा मध्यम ठंडे रहते हैं। गहराई में किए गए बोरवेल के माध्यम से उसके कूलिंग प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है। अर्जेंटीना की मदद से रेफ्रीजरेशन सिस्टम तैयार किया गया है, जहां गायों का दूध स्टोर होता है। वहां से ठंडा दूध 9,000 वाहनों से पूरे देश में सप्लाई किया जाता है। ऐसे ही और उपाय तलाशे जा रहे हैं।
देवर की शादी में सीएम अखिलेश की पत्नी डिंपल ने जमकर किया डांस
10 Beautiful Women Who Have Slept With Justin Bieber
8 Celebs Who Look Totally Different From When They Were Kids
सऊदी अरब में आथिर्क हालत खराब
Reviewed by india
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